नेपाल में आज भी राजनीतिक परिस्थितियां बेहद खराब होती जा रही है l देश में लोकतंत्र तथा राजतंत्र समाप्त कर राजशाही की स्थापना करने की मांग को लेकर भी बहस हो गई हैं l नेपाल इन दिनों राजनीतिक दृष्टिकोण से अशांत दिख रहा हैं l लगातार राजशाही को फिर से लाने की मांग जोर पकड़ने लगी है l 17 साल पहले नेपाल ने 240 वर्षो के बाद अपने देश से राजतंत्र का खात्मा किया था l लेकिन 17 साल में नेपाल की जनता का लोकतंत्र से भरोसा टूट गया और वहां फिर से राजा को लाने की मांग होने लगी l नेपाल में धरना प्रदर्शन किए जा रहें हैं और नारे लग रहे हैं कि हाम्रो राजा हाम्रो देश प्राण भंदा प्यारो छ यानी कि हमारा राजा हमारा देश प्राणों से भी प्यारा हैं , तथा हमारा राजा वापस लाओ , इसे फिर से हिन्दू राष्ट्र बनाओं l
पिछले दिनों मैं एक रिपोर्ट तथा समारोह के सिलसिले में नेपाल के लहान,राजबिराज, विराटनगर, बिर्तामोड़,दमक , काकड़भिट्टा,झापा बाजार, जनकपुर,सिरहा,बीरगंज,गौर गया था l यह नेपाल का मधेशी इलाका हैं l नेपाल के 53 फीसदी मधेशी मधेश में रहते हैं l इनसे पूछा था कि राजतंत्र के जाने और लोकतंत्र के आने से उनके जीवन में क्या फर्क पड़ा ? इसके जवाब में कई स्थानीय लोगों का कहना था कि राजतंत्र के होते हुए उनके साथ कभी भेदभाव नहीं हुआ था और न ही कभी असुरक्षा का अहसास हुआ l मधेशी की इस बात में तथ्य हैं,लेकिन इसे सपाट तरीके से नहीं देखना चाहिए l मधेशियों पर कहर तो राजतंत्र में भी होता था l
नेपाल में कुछ दिनों में ऐसी कई रैलियां हुई हैं,जिसमें राजशाही व्यवस्था की मांग की जा रही हैं l काठमांडू में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आर पी पी ) ने बाइक रैली का आयोजन किया था , जिसमें बड़ी संख्या में लोगों नेपाल के राष्ट्र ध्वज के साथ जुटे थे l आर पी पी को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र का समर्थन हासिल हैं l इस रैली में लोग नेपाली में नारा लगा रहे थे "नारायणहीटी खाली गर,हाम्रो राजा आउदैछन यानी नारायणहीटी खाली करो ,हमारे राजा आ रहे हैं l इस रैली में आर पी पी के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगदेन ने कहां कि संघीय सरकार का अंत होना चाहिए l क्योंकि इसमें एक भ्रष्ट व्यवस्था मजबूत हो रही हैं l
नारायणहीटी काठमांडू में स्थित वहीं रॉयल पैलेस हैं,जिसमें राजा रहते थे l लेकिन 2008 में जब राजशाही व्यवस्था खत्म हुई और गणतंत्र आया तो इसे संग्रहालय में बदल दिया गया था l नारायणहीटी के भीतर ही एक गणतंत्र स्मारक बना दिया गया था l इससे पहले नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को बड़ी संख्या में लोगों ने गलेश्वर धाम और बागलुंग कालिका में स्वागत किया था l इसमें कई लोगों ने नारा लगाया था कि राजा आओं,देश बचाओं l
आर पी पी के सीनियर उपाध्यक्ष रविन्द्र मिश्रा कहते हैं कि वह नेपाल में फिर से राजशाही व्यवस्था लाना चाहते हैं l नेपाल में अभी जो व्यवस्था चल रही हैं,उससे लोगों का मोहभंग हो गया हैं l अब लोग पुराने दिन को याद कर रहे हैं l 17 सालों बाद राजा ज्ञानेंद्र नेपाल में कोई विलेन नहीं हैं l अब ज्ञानेंद्र जहां भी जाते हैं,वहां लोगों की भीड़ जमा हो जाती हैं l
अति अन्याय,अत्याचार दमन,शोषण,भ्रष्टाचार,राष्ट्रघात, लूटतंत्र और तानाशाह शासन चलाने वाले माओवादी प्रचंड तथा गठबंधन सरकार के विरोध में राजतंत्र की पुन:स्थापना होने की संभावना हैं l माओवादियों ने गोली की आवाज से पूरे नेपाल को थर्रा दिया था l हत्या ,लूट ,
दहशतगर्दी और अस्थिरता के पक्षधर माओवादियों को सरकार में शामिल प्रचंड का भूजदंड वहां की जनता अब उखाड़ फेंकने में लगे है l जनता को चाहिए अमन चैन , विकास और अखंड नेपाल l
गौरतलब हैं कि पहले से ही अमेरिका ने नेपाली माओवादियों को आतंकी मानते हुए इस संगठन को प्रतिबंधित सगठनों की सूची में डाल रखा हैं,और अभी तक इस संगठन को उक्त सूची से बाहर नहीं किया गया हैं l
पूर्वी नेपाल झापा जिला के चर्चित अखबार "स्वतन्त्र आवाज " राष्ट्रीय साप्ताहिक के संपादक योगेश खपांगी और वरिष्ठ पत्रकार देवेन्द्र ढुंगाना से मेरी घंटो बातचीत हुई l उन्होंने मुझे एक अखबार देते हुए कहां कि नेपाल की स्थिति बेहद नाजूक मोड़ पर हैं l उन्होंने अखबार के प्रथम पन्ने पर ही लिखा हैं कि "सुखानी हत्याकांड घटेकै दिन राजावादी हरुको स्याल हुइयां"l उन्होंने लिखा हैं कि सामाजिक परिवेश में राजावादियो ने ऐसा हलचल चलाया कि जैसे राज संस्था अब तुरंत ही आ जायेगा l अंतिम में उन्होंने प्रचंड के पक्ष को दर्शाते हुए लिखा हैं कि पीछे की ओर कोई देखता है तो अच्छा नहीं होगा l
नेपाल में हिन्दी भाषा के प्रयोग व मधेशी समाज के अधिकारों के लिए सदैव संघर्षरत मधेशवादी नेता रमन पांडेय हिन्दी को राजभाषा का दर्जा देने की मांग के साथ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं l उनका कहना है कि हिन्दी ने नेपाल के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है,और नेपाल के हर भाग के लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं l लिहाजा, नेपाली संविधान में संशोधन कर हिन्दी को नेपाली के समकक्ष दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए l उन्होंने कहाँ कि हम समय -समय पर अपने मधेश तथा तराई क्षेत्र का दौरा करते रहते है और स्थानीय मधेशी लोगों की समस्या से रु -ब -रु होकर समस्या को दूर करने का प्रयास करते है l मैंने सन, 1990 में 17 वर्षीय वाल्य अवस्था में प्रतिज्ञा की थी कि तब तक नेपाल के तीन करोड़ नागरिकों के बीच मै सिर्फ हिन्दी भाषा ही बोलूंगा जब तक हिन्दी भाषा को नेपाल में नेपाली भाषा के समकक्ष ही दूसरी राष्ट्र भाषा एवं सरकारी कामकाज की भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं हो जाता l
झापा बाजार निवासी मधेश के शुभ चिंतक एवं शिक्षक संतोष कुमार गणेश कहते हैं कि मधेशियो को बराबरी के आधार पर कभी इंसाफ नहीं मिला l इस के उलट वहां का शासक तबका उनके साथ दूसरे दर्जे के नागरिक जैसा बरताव करता आ रहा हैं l नेपाल में मधेशियों को गई गुजरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया गया हैं l उनमें सब कुछ कर सकने की कूवत हैं l लेकिन केवल मधेशी होने की वजह से उन्हें सभी मौकों से अलग रखा गया हैं l इस के खिलाफ खुल कर आगे आना होगा l
नेपाल की जनता की हालत आगे कुआं पीछे खाई वाली हो गई हैं l एक तरफ राजशाही तो दूसरी तरफ कम्यूनिष्ठ l आगे जो भी हो लेकिन राजशाही भारत के हित में ही होगा l नेपाल कम्यूनिष्ठ शासन में भारत विरोधी भावना बढ़ी हैं l अब नेपाल में लोग राजशाही व्यवस्था के लिए सड़कों पर उतर रहें हैं l नेपाल में निराशा तो हैं l लोगों की उम्मीदों पर कम्यूनिष्ठ सरकारें खरी नहीं उतर पाई हैं l लेकिन इस निराशा से नेपाल के लोगों को राजशाही व्यवस्था क्या निकाल देगी ?
नेपाल में 2008 में राजशाही का दौर खत्म हो गया था और उसके बाद से यहां पर 13 अलग अलग सरकारें आ चुकी हैं l नेपाल में कई लोगों का मानना हैं कि यहां लोकतंत्र का मौजूदा शासन फेल हो गया है और भ्रष्टाचार ,आर्थिक तंगी और राजनीतिक अस्थिरता के हालात हैं l इस वजह से लोग नेपाल में राजशाही की वापसी चाहते हैं l लेकिन नेपाल में राजशाही का वापस लौटना इतना आसान नहीं है l क्योंकि अब यह एक लोकतांत्रिक देश बन चुका हैं और मुख्य धारा के राजनीतिक दल नहीं चाहते कि नेपाल में राजशाही बहाल हो l
क्या नेपाल फिर से हिन्दू राष्ट्र बनेगा ? राजशाही को लाने के लिए बड़ा आंदोलन क्यों हो रहा हैं ? नेपाल में बबाल मचा हुआ हैं l क्या नेपाल में राजशाही वापस आने वाली हैं ? इन सवालों के जबाव के लिए हमें कुछ दिन इंतजार तो करना पड़ेगा l
नेपाल की राजधानी काठमांडू की सड़को पर शुक्रवार को अराजकता फैल गई l क्योंकि राजशाही समर्थकों का विरोध प्रदर्शन सुरक्षा बलों के साथ हिंसक झड़पों में बदल गया l आगजनी ,लूटपाट और टकराव से चिन्हित अशांति ने 2008 में समाप्त राजशाही को बहाल करने की मांग को लेकर नेपाल की राजधानी में तनाव को फिर से बढ़ा दिया हैं l हताहतों में एक एवेन्यूज टेलीविजन के पत्रकार सुरेश रजक को प्रदर्शनकारियों द्वारा आग लगाकर इमारत में जिन्दा जला दिया गया और एक युवा प्रदर्शनकारी को सुरक्षा बलों ने गोली मार दी l प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया ,दुकानों को लूट लिया और मीडिया कार्यालयों और राजनीतिक मुख्यालयों में तोड़फोड़ की l जो राजनीतिक असंतोष और सार्वजनिक सुरक्षा के अस्थिर चौराहें को रेखांकित करता हैं l
पत्रकार रजक की मौत नेपाल में पत्रकारों के सामने आने वाले जोखिमों को परेशान करने वाले इतिहास को और बढ़ा देती हैं l जो माओवादी विद्रोह के दौरान 2004 में पत्रकार देकेंद्र थापा की हत्या और जनकपुर की पत्रकार उमा कुमारी की हत्या जैसी पिछली घटनाओं को याद दिलाती हैं l